झाबुआ से भोपाल तक

*विधायक ने किया कन्या परिसर पिटोल का औचक निरीक्षण*

*करोडों की बिल्डिंग में फर्निचर तो ठीक पानी की भी समस्या गंभीर - विधायक डाॅ.विक्रांत भूरिया*

पिटोल (निर्भय सिंह ठाकुर ) आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित झाबुआ विकास खण्ड के पिटोल कन्या शिक्षा परिसर में व्याप्त समस्याओं के प्रकाश में आने के बाद मंगलवार को क्षैत्रिय विधायक एवं आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. विक्रांत विक्रांत भूरिया पिटोल में ग्रामीणों से रुबरु हुवे। यहां ग्रामीणों द्वारा कन्या परिसर पिटोल में सब कुछ ठीक नहीं चलने की शिकायत के बाद विधायक अचानक कन्या परिसर पहुंच गऐ। इसके पुर्व उन्होने पिटोल की आदिमजाती सेवा सह. संस्था का भी औचक निरीक्षण किया।
         विधायक ने परिसर के अध्यापकों के साथ जाकर जब कक्षाओं के अन्दर पढाई कर रही छात्राओं की जमीनी हकीकत को देखा तो कुछ असहज मेहसुस किया। देखा कि लगभग 27 करोड 46 लाख की बिल्डिंग में छात्राऐं जमीन पर बैठकर अध्यन कर रही है। कुछ छात्राओं को कुर्सी टेबल मिली है तो कुछ जमीन पर बैठी है। प्राचार्य के अवकाश पर होने से परिसर के अध्यापक श्री मण्डलोई ने बताया कि यहां फर्निचर तो अब तक आया ही नहीं है। जो है वह ईधर उधर से व्यवस्था कर लाऐ गऐ है। पानी टेंकरों से बुलवाया जा रहा है। कोई बोर नहीं है। जब यह स्वीकृत हुआ था तब 245 छात्राओं के लिये स्वीकृति थी। अब 416 छात्राऐं हैं किंतु नऐ शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि कक्षा 6 से 12वीं तक की पढने वाली 416 छात्राओं को पढाने के लिये 22 शिक्षक है। उनमें से 5 नियमित व 17 अतिथि शिक्षक है।
          विधायक ने इसके अलावा भी वहां कई मूलभूत समस्याओं को भी देखा जो छात्राओं के लिये जरुरी है। मूलभूत समस्याओं से जुझ रही छात्राओं की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुवे विधायक विक्रांत भूरिया नें वहीं से विभागीय मंत्री विजय शाह के ओएसडी केके खरे, जनजातीय कार्य विभाग के डिप्टी कमिश्नर ब्रजेश चंद्र पाण्डे व सहायक आयुक्त झाबुआ सुप्रिया बिसेन को भी अवगत करवाया।
  **416 छात्राओं की दो वक्त* *की रसोई का जिम्मा 6 महिलाओं* *पर* 
*       416 छात्राओं के लिये खाना बनाने वाली 6 रसोईयनों की समस्या पर विधायक ने कहा कि काफि महिनों से सेलरी नहीं मिल पा रही है। जितनी मिलनी चाहिये वह भी नहीं मिल पा रही है। उल्लेखनिय है कि महिलाओं ने गत दिवस अपनी यह पीढा सार्वजनिक की थी कि उन्हें 14 घंटे प्रतिदिन काम करना पड रहा है। एवज में मजदूरी मद के नाम पर महज 5 हजार रुपऐ मासिक दिये जा रहे है। वे भी समय पर नहीं दिये जा रहे। सुत्रों की माने तो महिलाओं को प्रबंधन द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि आखिर एक महिला को कितनी छात्राओं का भोजन बनाना है। व इसके लिये एक दिन में कितने घंटे काम करना है। छात्राओं की संख्या के मान से जो काम 9 से 10 रसोईयनों को करना चाहिये आखिर उस काम को 6 रसोईयनों से क्यों लिया जा रहा है।
            *25 दिनों से खाद के लिये परेशान है किसान* 
      विधायक ने अपने संस्था पर अपने औचक निरिक्षण के दौरान किसानों व आदिमजाति सेवा सहकारी संस्था के कर्मियों से चर्चा की जिसमें पता चला कि यहां गत 25 दिनों से किसानों को खाद वितरण नहीं हो पाया है। यहां तक कि बडी संख्या में चालु खातेदारों को भी खाद नहीं मिल पाई है। किसान की खाद समस्या को लेकर ब्रांच मेनेजर के.के. नायक को विधायक द्वारा अवगत कराने पर बताया कि जो किसान बच गऐ हैं उन्हें एक या दो दिन में उन्हें खाद उपलब्ध करवा दी जाऐगी।

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