झाबुआ
*वनकर्मियों की 6 साल की सतत निगरानी ने उर्जा वन को बना दिया ऊर्जावान*
*बंजर जमीन पर अब सैकडों पेड पौधों की हरियाली से मिल रहा आखो को सकुन**

पिटोल – इंदोर अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिटोल के समिप पिटोल खुर्द एवं बावडी बडी का 55 हेक्टेयर वन विभाग की जमीन का वो हिस्सा जो कभी बंजर होकर वृक्ष विहिन था। आज वहां हजारों पेड पौधे लहलहा रहे है। गत कई वर्षों से वन कर्मियों की सतत निगरानी के बूते राजमार्ग के दोनो ओर लगाऐ गऐ 21 हजार पौधों में से लगभग 18 हजार पौधे आकार लेने लगे है।
बताया जा रहा है कि बावडी बडी के इस उर्जावन में वर्ष 2019 में 1450 पोधों का रोपण किया गया था। आज वहां तकरीबन 2500 पौधे बडे होकर जंगल का आभास करा रहे है। खास बात यह है कि लगाऐ गऐ पौधों के अलावा वन कर्मियों द्वारा कंटूर ट्रेंच के पास बारिश के पुर्व खमेर के बीजों को डाला था। वे बीज भी अंकुरित होकर धीरे धीरे पेडों का स्वरुप ले रहे हैं। अपनी मेहनत के फलीभूत होते देख उत्साहित वन कर्मियों में परिक्षैत्र सहायक बापूसिंग बिलवाल व वन रक्षक जोरावरसिंग नायक ने वहां घूमने वाले पालतु मवेशियों व क्षति पहुचाने वाले आदताईयों से क्षैत्र को ओर अधिक सुरक्षा देना शुरु की। नतीजा यह हुआ कि बगैर पानी के पोधे प्राकृतिक रुप से बडे होने लगे। तत्कालीन डीएफओ एमएल हरित के मार्गदर्शन में अपनी ड्युटी का अधिकतम समय इन सबकी निगरानी में बिताया। समय समय पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारीयों का सहयोग व मार्गदर्शन उनकी प्रेरणा बनता रहा। उनकी मेहनत रंग लाई ओर आज बंजर जमीन में हरियाली दिखाई दे रही है।

*सुरक्षा ने दिया जीवन*
उन्होने बताया कि प्रारंभ में सिर्फ बारिश के पानी से ही पौधों को सहारा मिला बाद में प्राकृतिक रुप से वे बडे होते गऐ। बंजर जमीन में पानी की कोई सुविधा न तब थी न अब है। बिलवाल ने बताया कि उनके साथ गांव के कुछ युवा जो कि वन रक्षा समिति के सदस्य भी है जिनमें कनू बबेरिया, जोगडा, टीटू सरपंच एवं समिति अध्यक्ष रत्ना बबेरिया शामिल है ने इस बंजर जमीन को हरियाली में बदलने का संकल्प लिया। इन्होने पौधों को मवेशियों से बचाया तो दुसरी ओर प्रकृति का भी सहयोग मिला। 6 साल में पडी भीषण गर्मी के दौरान भी बगैर पानी के पौधे जिंदा रहे। जिसे वे प्रकृति का वरदान मानते है।

*इन प्रजातियों के है पेड ओर वन्यजीव*
बिलवाल ने बताया कि उर्जावन के 5 हेक्टर परिक्षैत्र में खमेर,नीम,आॅवला,सागौन,ग्लीरीसि डीया,बांस, चिरोल, गुलमोहर, केसिया साईमा, साजड, सलई, सुबबुल, बेर प्रजाति के पेड पौधे है। वहीं पिटोल खुर्द के कक्ष क्रमांक 376 की 50 हेक्टेयर भूमि में विभिन्न प्रजातियों के साथ पलाश के पेड भी हरियाली दे रहे है।
यहां वन्य जीवों में लक्कड भग्गा, नीलगाय, लोमडी, खरगोस, व तीतर के अलावा कई रंग बिरंगे पक्षी भी देखने को मिल जाते है। क्षैत्र के जनजाती वर्ग द्वारा राष्ट्रीय पक्षी मोरों को सुरक्षा देने के बाद क्षैत्र में उनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वन कर्मियों का मानना है कि इस पर्यावरण संरक्षण अभियान ओर जंगलों की सुरक्षा में आम जन का सहयोग बढेगा तो पिटोल खुर्द की यह वन भूमि पुनः अपने उस स्वरुप में लौट आऐगी जिसकी उनके पुर्वज चर्चा करते थे। पिटोल के 75 वर्षिय मडु भाई प्रजापत बताते है कि कभी यहां ऐसा जंगल हुआ करता था कि पेदल चलना भी मुश्किल भरा होता था। लेकिन अब हालात बदल गऐ है।

*खास बातें*
– *केम्पा फंड के तहत हुआ था 21 हजार पौधों का* *रोपण।*
– *55 हेक्टर भूमि में सुरक्षा के लिये* *की गई है तार फेंसिंग।*
– *6 *साल* *में बदली तस्वीर ।**
– *वन समिति सदस्यों को देख रेख के* *बदले मिल जाती है मवेशियों के लिये घांस।*
– *राष्ट्रीय पक्षी मोर की बढ रही है तादाद।*
*निर्भयसिंह ठाकुर पिटोल*
