झाबुआ

आखिर कब जागेगा कुम्भकर्णी नीद सोया प्रशासन

मेघनगर में झोलाछाप पर कार्यवाही के आदेश को बीएमओ ने डाला ठंडे बस्ते में

झाबुआ (सुनील डाबी )मध्यप्रदेश के दमोह में हुई घटना ने स्वास्थ्य विभाग की सारी पोल खोल के रख दी , ओर 7 मरीजो की मौत के बाद कार्यवाही की बात सामने आई आखिर समय रहते प्रशासन क्यो नही जागता क्यो पहले से ही कार्यवाही नही कि जाती है ऐसे ही हालात झाबुआ जिले में न बन जाये उससे पहले प्रसाशन को जागना होगा मगर न जाने क्यों स्वास्थ्य विभाग मूक दर्शक बनकर बैठा है यह समझ से परे है जबकि झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही करने के लिए प्रदेश के  मुखिया डॉक्टर मोहन यादव ने जिला कलेक्टरों व मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारियों को दे चुके है मगर प्रशासन द्वारा कोई सख्त कदम नही उठाया गया जिसकी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों की तादाद में भी बड़ा इजाफा हो रहा है जिनके पास कोई डिग्री या डिप्लोमा नही है वह भी खुद को डॉक्टर बताकर अपना रोब झाड़ने में कोई कसर नही छोड़ रहे है ओर प्रशासन कभी कभार छोटी मोटी कार्यवाही कर तालिया बटोरने में लगा है
*झाबुआ जिले सहित ग्रामीण अंचलों में फ़लफूल रहा झोलाछाप डॉक्टरों का  कारोबार*
झाबुआ जिले के मेघनगर ,रंभापुर  मांडली , मदरानी ,काकनवानी, हरिनगर ,थांदला  पेटलावद ,रायपुरिया, कल्याणपुरा भगोर, राणापुर ,रामा सहित पूरे अंचल में झोलाछाप डॉक्टरों ने अपनी दुकान खोल रखी है कई बार इलाज के दौरान मौत होने पर आवाज़ उठाने वालों की आवाज़ भी यह झोलाछाप डॉक्टर गांधी छाप नोटो से दबा देते है और पुनः अपने काम मे लग जाते है मगर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एसी की हवा खाने में ही व्यस्त रहते है उन्हें इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि कहा क्या हो रहा है ,
*शासकीय अस्पताल के हाल बेहाल, इसलिए मजबूरी ले जाती झोलाछाप डॉक्टरों के पास*
स्वास्थ्य सेवाओ की बात करे तो सरकारी अस्पतालो में स्वास्थ्य के हाल बेहाल है यहा तो मरीज को सीधे प्रायवेट अस्पताल का रास्ता बता दिया जाता है चाहे कोई जांच करना हो या एक्सरे सभी के लिए बाहर , ओर इतना ही नही मरीजो को रेफर भी कर दिया जाता है ताकि प्रायवेट क्लिनिक वालो की दुकानदारी चलती रहे सरकारी अस्पताल से    निजी क्लिनिक तक मरीजो को सरकारी एम्बुलेंस से भेज दिया जाता है , ओर निजी क्लिनिक संचालको का भला किया जाता है यह सब जानकर भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी मूकदर्शक बनकर बैठे हुवे  ऐसा ही एक मामला थांदला का हुवा था जहाँ महिला।की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया आखिर प्रशासन पहले हरकत में क्यो नही आता
*मेघनगर में  झोलाछाप पर कार्यवाही के आदेश को बीएमओ ने डाला ठंडे बस्ते में*
ऐसा नही है कि जिम्मेदार अधिकारियों को कार्यवाही के लिए आदेश प्राप्त नही हुवे आदेश मिलने के बाद मेघनगर बीएमओ भी कार्यवाही करने की बजाय चुप्पी साधे बैठे है ऐसा लगता है कि मेघनगर सहित ग्रामीण अंचलों में कोई बड़ी घटना का इंतज़ार मेघनगर बीएमओ कर रहे है  ओर यही वजह है कि वह अस्पताल की चार दिवारी से बाहर आकर कार्यवाही करने को राजी नही है पूर्व बीएमओ द्वारा भी एसडीएम मेघनगर , पुलिस टीम द्वारा एक सयुक्त टीम बनाकर कार्यवाही कर कई क्लीनिकों को सील किया था मगर न जाने क्यों तत्कालीन बीएमओ ने  इन अवेध क्लिनिक संचालको को हरी झड़ी  दे रखी है यह वही जाने मगर मेघनगर सहित ग्रामीण अंचलों में कार्यवाही न होना अब कई सवाल खड़े कर रहा है और इसकी चर्चा अब चौराहे पर जोरो से है कि आखिर कब होगी कार्यवाही…?

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