झाबुआ से भोपाल तक
करोड़ो रुपये की लागत से बन रहा फिल्टर प्लांट में ठेकेदार की लापरवाही
एकेवीएन की बिजली पानी का इस्तेमाल कर शासन को चुना लगा रहा था ठेकेदार..

झाबुआ जिले के मेघनगर के औद्योगिक क्षेत्र में 2 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से एकेवीएन ऑफिस के पीछे फिल्टर प्लांट का काम चल रहा हैं उस मे ठेकेदार बिजलीं व पानी एकेवीएन का उपयोग कर रहा और शासन को लाखों रुपये का चूना लगा रहा था जब कि ये सारी व्यवस्था ठेकेदार की होती हैं ठेकेदार को ही टैंकर से या तो फिर खुद बोरवेल करवा कर पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से करना होती हैं और अलग से बिजलीं के कनेक्शन की व्यवस्था भी करना होती हैं लेकिन ठेकेदार ने ऐसा नही किया जब कि टेंडर होते हैं तभी से ये सारी बाते किलियर हो जाती हैं और ये सारी व्यवस्था ठेकेदार को करना होती हैं लेकिन ठेकेदार ऐसा न करते हुए अपनी मनमानी कर काम चला रहा था जिसकी सूचना मिलने के बाद जब मीडिया कर्मी मोके पर पहुँचे और संबंधित अधिकारीयों को अवगत करवाया था तो ठेकेदार को बचाते हुए पल्ला झाड़ते नजर आए वही अगर विभागीय इंजीनियर की बात करे तो टेक्नीकल इंजीनियर को जहाँ कार्य चल रहा हैं वही मौके पर ही रहना होता हैं लेकिन यहाँ इंजीनियर को रहने की बजाय ज्यादातर इंदौर में रहता हैं ओर सारा निर्माण कार्य की देख रेख इंदौर से करता हैं तो फिर ठेकेदार अपनी मनमानी नही करेगा तो क्या करेगा इतना बड़ा बान करोड़ो रूपये की लागत से बन रहा फिल्टर प्लांट की देख रेख आखिर कौन कर रहा हैं…?

ये सबसे बड़ा सवाल हैं अगर विभागीय इंजीनियर यहाँ चल रहा निर्माण कार्य की देख रेख करने में नही रहता हैं तो फिर ठेकेदार अपनी मनमानी कर घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर जैसे तैसे इस करोड़ो रूपये से बन रहा फिल्टर प्लांट को बना कर इतिश्री कर चला जायेगा और इस का खामियाजा यहाँ के लोगो को भुगतान पड़ेगा वहीं काम की शुरुआत से लेकर मीडिया के पहुंचने तक कितना काम एकेवीएन के पानी व बिजली का उपयोग किया गया तस्वीरों में साफ देख सकते है इतना सब कुछ होने के बाद भी विभागीय एसडीओ व इंजीनियर द्वारा संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई ओर ना ही राशि की वसूली की गई जब की कार्यवाही करना थी क्यो की ठेकेदार द्वारा जब से कार्य स्टार्ट हुआ तभी से एकेवीएन की ही बिजलीं ओर पानी का फ्री में उपयोग कर आधा निर्माण कार्य करलिया था मीडिया के हस्तक्षेप के बाद ठेकेदार द्वारा आनन फानन में बिजली विभाग में कनेक्शन के लिए आवेदन दिया गया ऐसा लगता हैं कि कही ना कही विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत ठेकेदार के साथ नजर आई वरना इतने दिन इंजीनियर क्या इंदौर से ही मॉनिटरिंग कर सब ठीक है कि बात कर रहे है निर्माण कार्य मे उपयोग हो रही घटिया सामग्री को देखे बिना सब बढ़िया कहकर मोहर लगा रहे हैं..?

*क्या कहते है जिम्मेदार .*
मीडिया के द्वारा सूचना दी गई थी जिसके बाद मुझे आवेदन मिला और अब कनेक्शन किया गया है
*श्रवण कुमार पारगी कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी एमपीईबी मेघनगर*
में मौके पर गया था और अभी में साहब के साथ मीटिंग मे बैठा हु जहां तक एकेवीएन से पानी व बिजली का इस्तेमाल ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है तो में आपको फिर फोन लगाता हु कहकर पल्ला झाड़ ठेकेदार को बचाते नजर आए साहब
*एकेवीएन इंजीनियर इंदन सिंह राजपूत*