देहरादून। देश दुनिया में जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है उसी क्रम में खाद्य पदार्थाे की खपत भी तेजी से बढ़ती जा रही है। जिसके चलते मिलावटखोर खाद्य पदार्थाे की आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर मिलावट करते हैं। मौजूदा समय में दूध से जुड़े उत्पादों में अधिकतर मिलावटी के मामले सामने आते रहे हैं। खासकर त्योहारी सीजन के दौरान मिलावट का मामला काफी अधिक बढ़ जाता है। जिसके सेवन से लोगो को स्वास्थ्य पर सीधे असर पड़ता है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से समय समय पर अभियान चलता कार्यवाही की जाती है, बावजूद इसके मिलावटखोरी का मामला थामने का नाम नहीं ले रहे हैं।
एफडीए राज्य के उपभोक्ताओं को सुरक्षित आहार स्वास्थ्य का आधार और ईंट राईट इण्डिया अभियान के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है। एफडीए से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी 2024 से मई 2024 तक सर्विलांस के जरिए 1763 खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए गए, जिसमें से 1040 सैंपल के रिपोर्ट विभाग को प्राप्त हुए है। जिन खाद्य पदार्थाे के सैंपल की जांच रिपोर्ट मिली है उसमें से 60 सैंपल मानकों पर फेल साबित हुए हैं। जिसमें फल, मसालों, तेल, दुग्ध और दुग्ध प्रोडक्ट शामिल हैं।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया मिलावट संबंधी अपराध की जानकारी देने और अपराधी को पकड़वाने में मदद करने के लिए जल्द ही एफडीए, राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नियमों के तहत विधि व निधि निर्धारित करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन की ओर से जल्द ही सर्विलांस की कार्यवाही शुरू कराने जा रहा है। जिसमें फल, मसाले, दूध और खाद्य तेल शामिल हैं। सर्विलांस की कार्यवाही के तहत प्रदेश में स्थिति खाद्य निर्माण इकाईयों का रिस्क बेस निरीक्षण किया जाएगा। साथ ही दुग्ध उत्पदों, खाद्य तेल, मसाले बनाने वाली निर्माण कंपनियों का समय समय पर निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कार्यवाही की जायेगी।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया प्रदेश में खाद्य उपभोक्ताओं को मिलावट के प्रति जागरूक किए जाने के लिए प्रशिक्षण और त्वरित जांच के लिए 3 मोबाइल खाद्य जांच के जरिए सैंपल की जांच की जा रही है। मिलावट खाद्य पदार्थों की शिकायत भी खाद्य उपभोक्ता कर सकता है इसके लिए टोल फ्री नम्बर 180018004246 चल रहा है। इसके अलावा, खाद्य कारोबारियों को खाद्य नियमों की जानकारी, स्वच्छता मानकों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में अभी तक करीब दो हजार स्ट्रीट वेन्डरों को राज्य के कई जिलों में प्रशिक्षित किया जा चुका है।
उत्तराखंड राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी होने के चलते बृहद स्तर पर अभियान चलाने में एफडीए को काफी दिक्कताओं का सामना करना पड़ रहा है। जिस पर अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन, ताजबर सिंह जग्गी ने बताया खाद्य विभाग की ओर से राज्य में खाद्य मिलावट पर लगाम लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी को जल्दी दूर कर लिया जायेगा। इसके लिए 25 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के चयन को लेकर लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया है। लोक सेवा आयोग से चयन होने तक प्रतिनियुक्ति पर खाद्य सुरक्षा अधिकारीयो के तैनात की प्रक्रिया चल रही है।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 में किए गए प्रावधानों को सही ढंग एस लागू करने को लेकर राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विभागीय सचिवों की स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया गया है। इसी क्रम में जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तमाम विभागों की स्टेरिंग कमेटी का गठन किया गया है। राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 में दिए गए प्राविधानों के तहत अपीलीय अधिकरण देहरादून और हल्द्वानी में पीठासीन अधिकारी एवं रजिस्ट्रार कार्य कर रहे हैं। इसी तरह जिला स्तर पर दायर वादों के खिलाफ अपीलों का निस्तारण जिलाधिकारी की ओर से किया जा रहा है।