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5 हजार मासिक वेतन पर 416 छात्राओं के लिये दोनों वक्त का खाना पका रही 6 महिलाऐं

कन्या परिसर पिटोल में 15 घंटे काम करने वाली रसोईयनों को एक दिन की मजदूरी 160 रुपऐ

पिटोल (निर्भय सिंह ठाकुर )  झाबुआ विकास खण्ड के पिटोल कन्या शिक्षा परिसर व कन्या आश्रम में व्याप्त समस्याओं के साथ ही वहां काम करने वाली रसोईयनों ने भी अपना मोर्चा खोल दिया है। महिलाओं ने कहा कि 160 रु. एक दिन के मान से मजदूरी उन्हें दी जा रही है। जिसमें वे सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक यानी 15 घंटे काम कर रही है। बावजुद इसके उन्हें नरेगा से भी न्युनतम दर पर पैसा मिल रहा है। रसोईयनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुवे कहा कि उनकी समस्याऐं यदि हल नहीं हुई तो वे न तो भोजन बनाऐगीं न किसी अन्य को बनाने देंगी। अब तक वे सिर्फ इस आस में काम कर रही है कि आज नही ंतो कल उनकी बकाया पगार मिल जाऐगी व सरकार कभी तो उनकी पगार बढाऐगी।
          छात्राओं का भोजन बनाने वाली आदिवासी महिलाओं ने बताया कि उन्हें गत शिक्षण सत्र में मात्र 5 माह का ही वेतन मिला है। इस सत्र में अब तक उन्हें कोई वेतन नहीं मिला। वेतन नहीं मिलने के कारण यदि उन्होने 4 दिन खाना बनाना बंद कर दिया तो यहां रहने वाली 416 छात्राओं को भुखे मरने की नोबत आ जाऐगी।
उल्लेखनीय है कि इस आवासीय परिसर में रहने वाली छात्राऐं यहां से कई किलो मीटर दूर के ग्रामीण अंचलों से आकर यहां रहने के साथ अपनी पढाई करती है। महिलाओं में रसोईयन सविता, राजुला, रेखा, सानु व भविता भाबोर का आरोप है कि इन सब हालातों से बे परवाह परिसर प्रबंधन उन्हें 5 हजार जैसा न्युनतम वेतन भी महिनों तक नहीं दे पा रहा है। बताया जा रहा है कि इन सब के फंड की व्यवस्था प्राचार्य के माध्यम से होती है। भविता भाबोर ने बताया कि जिस कुंऐं से आश्रम में पानी दिया जाता है वह निजी है। उसका भी तय पैसा प्रभारी प्राचार्य द्वारा अब तक नहीं दिया गया।
     *भोजन का समय अनुकुल न होने से भुखे रहना पड रहा* 
     छात्राओं ने यह भी बताया कि रात को भोजन 8 बजे मिलता है उसके बाद अगले दिन 1 बजे यानी भोजन में 17 घंटे का अंतराल रहता है। हालांकि छात्राओं ने यह भी बताया कि इस बीच सुबह नाश्ता मिलता है पर उससे उनका पेट नहीं भरता। भोजन को लेकर समय प्राचार्य ने तय किया है। कतिपय छात्राओं ने दबी जुबान यह बात बताते हुवे कहा कि उनके भोजन का समय उनके अनुकुल होना चाहिये पर वे प्राचार्य के भय के कारण केह नहीं पा रही है। छात्राओं के अभिभावकों ने बताया कि छात्राओं ने सामुहिक रुप से लिखित में समस्या से अधिक्षिका को अवगत करवाया है पर भोजन के समय में बदलाव नहीं किया गया।
              *अधिकांश शिक्षक शिक्षिकाऐं कर रहे अपडाउन* 
     कन्या परिसर के साथ ही जनजाती कार्य विभाग द्वारा पिटोल क्षैत्र में संचालित अधिकांश शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक चाहे फिर वे बालक हायर सेकेण्डरी, कन्या हायर सेकेण्डरी, बालक माद्यमिक शालाऐं, कन्या प्राथमिक व माद्यमिक शालाऐं क्यों न हो सभी में अधिकांश शिक्षक मुख्यालय पर रहने के नियम की अवहेलना करते हुवे बाहर से आना जाना कर रहे है। जनपद सदस्य पेमा भाबोर ने आरोप लगाया है कि विभागीय अधिकारी यह सब जानते हुवे इसे नजर अंदाज कर रहे है। जिससे विध्यार्थीयों की पढाई प्रभावित हो रही है। संस्था में लेट आने व जल्दी चले जाने के कारण शिक्षण के साथ ही खेल व अन्य गतिविधियां भी संचालित नहीं हो पा रही है। भाबोर ने मांग की है कि बरसों से चले आ रहे इस अपडाउन के ढर्रे पर आखिर कब नकेल कसेगी।
                           **इन्होने कहा* 
  रसोईयनों की मजदूरी मद का पैसा लेट हुआ है। बिल लगाऐ गऐ थे। ट्रेजरी के आब्जेक्शन  के बाद उसे रीमूव करके पुनः बिल लगवाऐ जा रहे है।
                                                 *सुप्रिया बिसेन* 
                                    *सहायक आयुक्त* ( *जनजाती कार्य विभाग) झाबुआ*

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