झाबुआ से भोपाल तक

संबल योजना में बाबू द्वारा रिश्वत लेने के लगे आरोप मामले मे जाच टीम सवालो के घेरे मे

ग्राम पंचायत गुवाली के सचिव पर मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह मे लगे आरोप की जाच से असन्तुष्ट युवक

मेघनगर…झाबुआ जिले के मेघनगर की जनपद  पंचायत में संबल योजना  में बाबू द्वारा रिश्वत लेने के लगे आरोप तो ग्राम पंचायत गुवाली के सचिव पर मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह में युवक द्वारा रिश्वत नही देने पर बहन का फार्म रिजेक्ट करने  का मामला थमने का नाम नही ले रहा है एक ओर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को झाबुआ जिले के अधिकारी कैसे ध्वस्त करने में लगे है इसका ताजा जीता जागता उदाहरण एक बार फिर देखने को मिला जब मेघनगर जनपद पंचायत के लेखापाल कमलसिंह नायक जिन पर पिछले दिनों कई सरपंचों ने  कमीशन मांगने का आरोप लगाने के बाद मेघनगर जनपद अध्यक्ष ललिता मुकेश मुणिया ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री से इनकी शिकायत की थी। जिसके बाद जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी को उक्त मामले की जिम्मेदारी सौंपी गई थी मगर उन्होंने जांच में  न्याय के तमाम सिद्धांतों को ताक में रखकर शिकायतकर्ताओं जिनमें अध्यक्ष ललिता मुकेश मुणिया सहित कई सरपंचों के कथनों को अभिखित कर जांच की जानी थी मगर बिना उनके कथन अभिलिखित किए और उन्हें  बिना जांच में सम्मिलित किए अन्य सचिव संगठनों और व्यक्तियों के बयान लेकर आरोपियों को क्लीन चिट देकर अद्भुत जांच को अंजाम दे दिया। मतलब शिकायतकर्ताओ को बिना सुने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई और तो और जांच में मात्र तीन साल से पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी अंतरसिंह डावर के स्थानांतरण की अनुशंसा तो की,मगर कमलसिंह नायक जो  पिछले पंद्रह साल से ज्यादा समय से मेघनगर जनपद पंचायत मे पदस्थ है उनके स्थानांतरण की कोई अनुशंसा जांच प्रतिवेदन में नहीं की गई थी और वो अब भी मेघनगर में ही पदस्थ  है शायद इसलिए कहते है कि एमपी अजब है और सबसे गजब है।
*यह है पूरा मामला*
कुछ दिनों पूर्व हुए  मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में मेघनगर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत गुवाली का गांव बाडीसेरा  के युवक संजय भूरिया द्वारा मीडिया के सामने ग्राम पंचायत गुवाली के सचिव पर उसकी बहन रीना भूरिया का मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना का फॉर्म आगे बढ़ाने के एवंज में 10 हजार की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था और संबल योजना के 2 लाख स्वीकृत करने के बदले जनपद के बाबू किरण सिंह परमार द्वारा 10 हजार रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।जिसके बाद मेघनगर एसडीएम रितिका पाटीदार द्वारा उक्त  मीडिया वीडियो क्लिप पर संज्ञान लेकर मामले की 3 दिन में जांच कर  प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु हे मेघनगर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को आदेशित किया गया था जिसके बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत द्वारा महेंद्र भाबर प्रभारी पंचायत खंड अधिकारी, कुमारी युक्ति शर्मा सहायक विकासखंड विस्तार अधिकारी, कमलसिंह नायक लेखापाल को इस मामले में जांच दल का सदस्य बनाकर जांच का जिम्मा सौंपा गया था।अब इस जांच दल पर कई सवाल उठते है कि जिन कमलसिंह नायक पर हाल ही में कई सरपंचों ने कमीशन मांगने के आरोप लगाए जिसकी शिकायत जनपद अध्यक्ष ने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री से तक की क्या ऐसा कोई व्यक्ति किसी अन्य भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही टीम का सदस्य हो सकता है…? दूसरा ग्राम पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री कन्यादान के फॉर्म रिजेक्ट करने का कोई अधिकार ही नहीं है, जिनके पास ये अधिकार है वो जनपद पंचायत के कर्मचारियों की टिम के बाद मुख्यकार्यपालन अधिकारी को होता है तो रिश्वत मांगने के आरोप की सुई मूल रूप से घूम कर जनपद पंचायत के कर्मचारियों,अधिकारियों पर ही आती है तो मूल रूप से आरोप तो जनपद पंचायत मेघनगर के अधिकारियो और कर्मचारियों पर ही है तो न्याय के सिद्धांत अनुसार कोई आरोपी या संस्था स्वयं के विरुद्ध आरोपों की जांच कैसे करता है…? और अगर करेगा तो क्या वो स्वयं को जांच के दोषी साबित करेगा…? कुल मिलकर ऐसी जांच का कोई औचित्य नहीं है ऐसी जांच ना तो निष्पक्ष हो सकती है और ना  ही तटस्थ हो सकती है और ऐसी किसी जांच में न्याय होना असंभव है इसलिए इस पूरे मामले की जांच किसी अन्य विभाग के अधिकारी,कर्मचारियों से करवाई जानी चाहिए तभी सही न्याय मिलेगा वही रीना भूरिया का फॉर्म क्यों खारिज किया किसी के पास उचित जवाब नहीं प्राथमिक तौर पर शिकायतकर्ता के आरोपों में इसलिए दम लगता है क्यों कि जब पत्रकारों ने रीना भूरिया के फॉर्म खारिज होने का कारण मुख्य कार्यपालन अधिकारी अंतर सिंह डाबर जनपद पंचायत से जानना चाहा तो उनकी हर बात में टालमटोल जवाब मिल रहे थे और उनके पास कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं था इसी तरह फार्म की छानबीन के लिए जो समिति बनाई गई थी वो भी फार्म खारिज किए जाने का कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दे पा रही ना साफ कारण बता रही है जिस से की शिकायतकर्ता के आरोपों को बल मिलता है और पूरे मामले की विस्तृत जांच जरूरी है
तब जाकर शिकायत कर्ता सजंय भुरिया व बहन रीना को न्याय मिलेगा
*15 वर्षो से पदस्थ कौन हैं मेहरबान*
मेघनगर जनपद में 15 वर्षो से पदस्थ कमलसिंह नायक पर कमीशन मांगने की शिकायत के बाद स्थानांतरण की बजाए प्रशासकीय तंत्र ने उपकृत करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय मेघनगर के लेखपाल का अतिरिक्त प्रभार दे दिया है मगर जनचर्चा तो यह है कि साहब दोनों तरफ रेवड़ी खाने में मस्त है तो वही जनचर्चा यह भी हैं कि ग्राम पंचायतों के सरपंच भी दबीजुबान से यह कह रहे कि सरपंचों ने कहि भी शिकायते करी तो आप की पंचायतो की जाँच करवा देंगे डरे सेहमेसे नजर आ रहे और खुलकर कुछ बोल नही पा रहे हैं
*न्याय की उम्मीद अब जिला कलेक्टर से*
वही इस मामले मे फरियादी संजय भूरिया का कहना है की मेरे द्वारा लगाए गए आरोप बिलकुल सही है मेरी बहन मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से इस वजह से वंचित रह गई की मे सचिव द्वारा मांगी गई 10 हज़ार की रकम नही दे पाया ,तो वही वर्ष 2023 मे मेरे पिता की मौत केन्सर की वजह से हुई थी व पिता की मौत पर आर्थिक सहायता राशि मंजूर करने के बदले दी गई राशि 10 हज़ार सही है मुझे जिला कलेक्टर नेहा मीना से  की इस मामले मे निष्पक्ष जाच की उम्मीद है
*इनका कहना है*
जनपद पंचायत अध्यक्ष ललिता मुकेश मुनिया का कहना है कि मेरे द्वारा की पूर्व में की गई कमीशन मांगने की शिकायतें में मुझे ना तो जांच में सम्मिलित किया गया ना ही मेरे कोई लिखित बयान दर्ज किए गए और एकपक्षीय जांच कर क्लीन चिट दे दी गई,गई जिस जांच से में बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं। पूरे प्रकरण की  फिर से एक निष्पक्ष जांच दल बनाकर जांच की जानी चाहिए।
*ललिता मुकेश मुनिया जनपद अध्यक्ष मेघनगर*
आदिवासी समाज के युवा भाई सजय भूरिया को न्याय मिलना चाहिये व इस मामले की निष्पक्ष जांच होना चाहिए एसडीएम मेडम से इस मामले में बात हुई है उन्होंने नई जाच टीम बनवाकर जाच करवाने का आश्वासन दिया है-
*दिनेश वसुनिया सामाजिक कार्यकर्ता*

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