झाबुआ

आखिर क्यो कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करने मे लगे जिम्मेदार

जर्जर भवन में आखिर क्यों हो रहा था स्कूल का संचालन जब कि कलेक्टर ने पहले दिए थे निर्देश

झाबुआ जिले में स्कूल की शुरूआत हुवे  अभी चन्द दिन हुवे मगर आज भी जिलें भर ने कई स्कूलो कि हालत खस्ता है या यूं कहें कि जर्जर शालाओ में बच्चे पड़ने को मजबूर है जबकि जिला कलेक्टर द्वारा वर्षाकाल से पूर्व ही स्कूलों का  संचालन जर्जर भवनों में नही करने के निर्देश जारी किए मगर  अधिकारी कर्मचारियों द्वारा कलेक्टर के आदेश को हवा में उड़ा कर जर्जर  भवनों में स्कूल का संचालन कर रहे है  उनके कानों से जु तक नही रेग रही है
ताजा मामला झाबुआ जिले के मेघनगर ब्लाक के संकुल मदरानी का हैं… यहाँ गांव उमरादरा की प्राथमिक विद्यालय डुडका फलिया में स्कूल में पढ़ाई कर रहे छात्राओं पर छत का प्लास्टर गिर गया और  तीन छात्राओ और एक शिक्षक के सिर पर चोट आने की वजह से घायल हो गई…घटना के बाद सभी घायल स्कूली छात्रों व शिक्षक को थांदला के सरकारी अस्पताल लाया गया जहां पर सभी बच्चो का उपचार किया जा रहा है…ये तो गनीमत रही कि कोई जनहानि नही हुई नही बड़ा हादसा हो जाता और कई बच्चो की जान पर बन आती….
सुबह सभी छात्र अपने कक्षा में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे इस बीच क्लासरूम के आगे के हिस्से में अचानक छत का प्लास्टर टूटकर गिर गया जिससे क्लासरूम में बैठे छात्रों को चोट लग गई ओर जो शिक्षक बच्चो को पड़ा रहा था उसे भी सिर चोटे आई
वहीं शिक्षक ने बताया की पढ़ाई चल रही बच्चे बैठे थे और पढ़ाई कर कर रहे थे और कुछ बच्चे टेबल के पास होमवर्क किया उसे चेक करवाने आये उसी दौरान छत का प्लास्टर गिरा और जैसे तैसे अपनी जान बचा कर बाहर की ओर भागे तो वही चौथी और पांचवी क्लास में कुल 45 बच्चे है और पुरानी स्कूल हैं
वही बात करे जर्जर स्कूलों भवनों की तो आप और हम सब जानते है कि इन जर्जर स्कूल भवनों के लिए शासन द्वारा मेंटेन्स के नाम पर लाखों रुपया आता हैं लेकिन कोई भी रिपेयरिंग का कार्य नही किया जाता हैं तो फिर वो लाखो रुपया जाता कहा हैं क्या ऐसी घटनाएं नौनिहालों की जान के साथ होती रहेगी…वही देखा जाय तो जिले की कई स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं उनकी मरम्मत  नही हो रही अगर उस पर ध्यान नही दिया गया तो ऐसे हादसे होते रहेंगे..! जबकि यह भी जांच का विषय है कि आखिर इस भवन  का निर्माण कब हुवा कितनी बार  मरम्मत  की राशि स्वीकृत हुई मरम्मत कब करवाई गई कब रंग रोगन किया गया इसका भौतिक सत्यापन कब किया गया व इस भवन पर कितनी राशि व्यय की गई अगर इन पहलुओं की भी जांच करे तो सब दूध का दुध ओर पानी का पानी हो जाएगा
आखिर क्यो जिम्मेदारों ने नही दिया ध्यान 
  आखिर क्यो  संकुल प्रभारी  प्रभारी का इस ओर ध्यान नही गया और नही सीएससी  ने इस ओर ध्यान देना उचित समझा क्या उनका यह कर्तव्य नही था कि जर्जर भवन में शाला का संचालन न करने दिया जाए या कलेक्टर के आदेश को भी वह महज मजाक समझकर हवा में उड़ा रहे है आखिर निरीक्षण के दौरान इस स्कूल भवन की इन्होंने सुध क्यो नही ली आखिर वरिष्ठ अधिकारी  को उन्होने अवगत क्यो नहीं करवाया आखिर विभाग इन  जिम्मेदारो पर कोई कार्यवाही करेगा या ये यू ही सब ठीक है का दावा कर स्कूल के बच्चों की जान से खिलवाड़ करते रहेगे
*क्या कहते जिम्मेदार…*
वहीं शिक्षिक ने बताया की पढ़ाई चल रही बच्चे बैठे थे और पढ़ाई कर रहे थे और कुछ बच्चे टेबल के पास होमवर्क को चैंक करवाने आये थे कि उसी दौरान छत का प्लास्टर गिरा और जैसे तैसे अपनी जान बचा कर बाहर की ओर भागे उसी क्लास में चौथी और पांचवी के कुल 45 बच्चे हैं और स्कूल भवन पुराना भी हो गया था ओर अचानक प्लास्टर आकर गिर गया ओर हम सब बाहर भागे
*प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक*
ये मामला पूरा संज्ञान में आया और प्रशासन के अधिकारी तुरंत मौके पर पँहुचे गए हैं मामले को देखने के लिए की ऐसा क्यों हुआ है जब कि सभी  को निर्देशित कर दिया था कि जहाँ जहाँ पर जर्जर भवन हैं वहाँ पर शिक्षण शालाए आयोजित ना करे अब इस मामले का प्रतिवेदन आ जाय मेरे पास फिर में इस मामले को संज्ञान में लेकर जाँच की जायेगी
*रितिका पाटीदार एसडीएम मेघनगर*
जिला कलेक्टर के आदेश के बाद मेरे द्वारा लगातार पत्र के माध्यम से व बैठकों के माध्यम से जर्जर भवनों में स्कूल का संचालन न करने की हिदायत दी गई थी उसके बावजूद भी स्कूल का संचालन जर्जर भवन में किया जा रहा था जिसको लेकर मेने सीएसी को भी नोटिस जारी किया है इसमे जो भी दोषी पाया जाता है उस पर कार्यवाही की जावेगी
*महेश सोलंकी  बीआरसी मेघनगर*

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!
× Contact us