झाबुआ

पिटोल में गणेशोत्सव की धूम: हवेली का महाराजा और बाल गणेश मंडल की शोभायात्राओं ने सजाई नगर की गलियाँ

भक्ति और उत्सव का संगम

पिटोल (निर्भय सिंह ठाकुर) गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर पिटोल नगर भक्ति और उल्लास से सराबोर रहा। नगर में दो भव्य शोभायात्राएँ निकाली गईं—एक हवेली का महाराजा मंडल की ओर से और दूसरी बाल गणेश मंडल की ओर से। दोनों यात्राएँ नगर के प्रमुख मार्गों से होकर गुज़रीं और अपने-अपने पंडालों तक पहुँचीं।

हवेली का महाराजा की शोभा यात्रा

हवेली का महाराजा मंडल की शोभा यात्रा हर बार की तरह इस वर्ष भी आकर्षण का केंद्र रही। भगवान गणपति का भव्य रथ जब सड़कों से गुज़रा तो पूरा नगर “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों से गूंज उठा। अलीराजपुर की आदिवासी टीमली नृत्य मंडली ने लोगों का मन मोह लिया, वहीं मेसाणा का मिकी माउस नृत्य समूह खासकर बच्चों के बीच लोकप्रिय रहा। आतिशबाज़ी और पेपर शॉट ने पूरे वातावरण को और रोमांचक बना दिया। आशापुरी बैंड व ऑर्केस्ट्रा और मेघनगर की ताशा पार्टी ने यात्रा को भक्ति और ऊर्जा से भर दिया। सबसे बड़ा आकर्षण महाराजा चौराहे पर हुआ लाइट शो रहा, जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए।

बाल गणेश मंडल की परंपरा

उधर, 45 वर्षों से परंपरा को आगे बढ़ा रहा बाल गणेश मंडल भी पीछे नहीं रहा। उनकी शोभा यात्रा में नासिक ढोल और बैंड की गूंज ने उत्सव का माहौल और भी जीवंत कर दिया। पेपर शॉट और अघोरी नृत्य ने श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण 10 फीट ऊँची नंदी की प्रतिमा रही, जिस पर भगवान शिव और माता पार्वती विराजमान थे। इसके साथ ही चार अन्य पंडालों की गणेश प्रतिमाएँ भी शामिल हुईं, जिससे शोभायात्रा और भव्य दिखाई दी।

दोनों शोभायात्राओं में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भीड़ को नियंत्रित करने और शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस ने बखूबी निभाई। हवेली का महाराजा मंडल की परंपरा 17 वर्षों से और बाल गणेश मंडल की परंपरा 45 वर्षों से निरंतर चल रही है। यही वजह है कि पिटोल में गणेशोत्सव हर साल धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उत्साह का प्रतीक बनता जा रहा है।

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