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गाहरी समाज नें तेजा दशमी पर निकाली शोभायात्रा, खोली गई तातीयां
मंदिर पर की गई आकर्षक सज्जा, चढाई गई छतरीयां

पिटोल (निर्भय सिंह ठाकुर )मंगलवार को स्थानीय बस स्टेण्ड पर स्थित तेजाजी मंदिर से गाहरी समाज द्वारा तेजाजी महाराज की एक भव्य शोभायात्रा बैंड बाजों के साथ निकाली गई। जिसमें बडी संख्या में समाज के अलावा अन्य समाज के ग्रामीण जन भी सम्मिलित हुवे। परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष निकाली जाने वाली इस शोभायात्रा के बाद दिनभर जहरीले जीव जंतुओं के जहर के निवारणार्थ बांधी जाने वाली आस्था की तांती (धागा) खोली गई।
*आरती में गाया,* *खम्मा खम्मा* *मारा तेजलडा पधारो*
शोभायात्रा बस स्टेण्ड से प्रारंभ होकर पुराने हाईवे से होती हुई, कुंदनपुर चैराहे व सदर बाजार से होकर पुनः मंदिर प्रांगण में पहुंची। जहां तेजाजी महाराज की आरती उतारी गई। आरती में पुरुषों, बच्चों सहित महिलाओं ने बढ चढ कर हिस्सा लिया। इसके बाद जिन्हें सर्प इत्यादि जहरीले जानवरो का दंश था। तेजाजी में आस्था ओर विश्वास के चलते उन लोगों ने जहर से सुरक्षा के लिये तेजाजी के नाम के धागे बांधे थे उन्हें उनके दर पर खोला गया। लम्बी चली आरती में आहवान किया कि हे तेजाजी महाराज तुम्हें हमारा नमन है आओ पधारो ओर भक्तों का दुःख दर्द निवारो।

*तेजा दशमी क्या हे परम्परा ओर* *महत्व*
राजस्थान, मध्य प्रदेश ओर उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला यह पर्व लोक देवता तेजाजी की स्मृति में भाद्रपद माह की शुक्ल दशमी को मनाया जाता है।
– वीर तेजाजी को नागों का देवता भी माना जाता है। पोराणिक मान्यता है कि तेजाजी ने अपने वचन को निभाने के लिये नाग को अपना शरीर दंश हेतु अर्पित किया था। इसलिये लोग उन्हें सर्पदंश से मुक्ति दिलाने वाला देवता मानते है।
– गांवों में पूरी रात तेजाजी के भजन ओर जागरण होते है।
