*पिटोल में लक्कड बग्घे अंधेरा होने के बाद बस्ती के पास घूमते देखे जा रहे*

*निर्भय सिंहठाकुर पिटोल* – इन दिनों पिटोल कस्बे के आसपास जंगली जानवर लक्कड बग्घे का मुवमेंट बढ गया है। अंधेरा होने के बाद वे बस्तीयों के आसपास देखे जा रहे है। यहां तक कि कई मर्तबा रोड क्रास करते वक्त वाहनों के सामने से गुजरते देखे जा रहे है। जंगली जानवर के भय से स्वजन रात के अंधेरे में बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दे रहे है। वहीं फारेस्ट विभाग की ओर से समितियों को ग्रामीण अंचलों में मुनादी करवाकर, जानवर से सतर्क रहने की सलाह देने की बात कही जा रही है।
उल्लेखनिय है कि आदिवासी जिले के झाबुआ रेंज में सामान्यतः ग्रामीण लक्कड बग्घे ( हाईना ) को जरक के नाम से जानते है। बताया जा रहा है कि पिटोल के पास लगे पांचकानाका के जंगल में मादा लक्कड बग्घे ने बच्चों को जन्म दिया है। संभवतः भुख के कारण ये खाने की तलाश में कस्बे के आसपास मांस मछली बेचने वाले ठीकानों पर उनके द्वारा फेंके जाने वाले वेस्टेज को खाने के लिये कस्बे के आसपास देखे जा रहे है। ग्रामीणों का मत है कि पिटोल हाईवे पर होटलें अधिक होने से फेंकी जाने वाली हड्डीयों को खाने के लिये उन्हें तलाशते हुवे वे यहां आ जाते है । ओर रोड क्रास करते देखे जा रहे है।
*पांचकानाका की झाडीयों में दुबकने हेतु अनुकुल माहौल*
फारेस्ट कर्मियों की माने तो झाबुआ जिले की नल्दी(हवाई पट्टी), मेघनगर के राखडीया, मेहंदीखेडा, टीटकीखेडा में जंगल अधिक होने से वहां जंगली जानवर विचरण करते रहते है किंतु पाचकानाका में झाडीया अधिक होने से जंगली सुअर, लक्कड बग्घे, नीलगाय व लोमडियां दिन में इसमें दुबके रहते है। फिर रात के समय निकलते है।
*3 बच्चों को लेकर घूम रही मादा*
प्रत्यक्षदर्शि हेमचंद गुंडिया ने बताया कि 15 दिनों पुर्व गोजियारे डेम के समिप उसने वहां बनी एक खोह के पास 3 बच्चों के साथ जरकडे यानी लक्कड बग्घे को देखा था। सार्थक ठाकुर ने बताया कि रविवार तकरीबन 9 बजे वह अपने भाई अभिमन्युसिंह के साथ देवराघाटी से छोटी पिटोल की ओर बाईक से जा रहे थे कि अचानक सामने आया ओर रोड क्रासकर समिप के खेत में होकर दूर निकल गया।
*इन बातों का रखना होगा ध्यान*
– मांस मछली बेचने वाले अपशिष्ट को हर जगह नहीं फेंके। बस्ती से दूर ले जाकर डाले।
– रात के अंधेरे में बच्चों को बाहर निकलने से रोके।
– अंधेरे में शोच करने जाने के लिये सुनसान क्षैत्र में अकेले न जाऐं।
– हाथ में डंडा आदि सुरक्षा के साधन रखें। उक्त जानकारी देते हुवे पिटोल सबरेंज के डिप्टी रेंजर बापूसिंग बिलवाल ने बताया कि सामान्यतः यह जानवर एकदम से किसी पर सीधे हमला नहीं करता। जल्दी जिंदा पशुओं को नुकसान भी नहीं करता। इनके पिछे कुत्ते भी दौड लगा देते है जिससे इसके होने को अंदेशा हो सकता है।
*लक्कड बग्घे के पिटोल बस्ती के आसपास घूमने की खबर मिली है। स्टाॅफ को निर्देश दिये जा रहे है कि वे ग्राम समितियों को अवगत करवाकर ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिये* **कहें*
*सुनिल सुलिया*
*एसडीओ फारेस्ट झाबुआ**